Description
जीवन में सुखी होने के लिए सेल्फ-हेल्प पुस्तकें तो बहुत हैं लेकिन क्या ऐसी कोई पुस्तक है जिससे एक बार सुख मिलने के बाद कभी चला न जाए? चिंता, स्ट्रेस, क्लेश, भय, असलामती और दुःखभरे जीवन में क्या कोई एक विश्रामघर है जहाँ अंतर में ठंडक मिल सके? आज भाग-दौड़ भरे जीवन में मनुष्य की एक-एक मिनट इतनी कीमती हो गई है कि खुद के लिए भी फुरसद नहीं है। इंस्टंट फूड, इंस्टंट मैसेज, रेपिड योगा और स्पीड डायल के रफ्तार भरे जमाने में इन्स्टन्ट सुख-शांति पाने का क्या कोई तरीका है? इन सभी प्रश्नों का जवाब है ‘‘हाँ’’!
इनके एक-एक पन्नों में ऐसी सच्ची समझ मिलेगी कि जो आत्मसात होकर, बाह्य परिस्थिति में कोई बदलाव किए बिना अंदर का सुख और शांति अनवरत बनी रहेगी और बढ़ते ही जाएगी। यहाँ प्रस्तुत छोटी-छोटी पुस्तिकाओं के वाक्य आंतरिक और बाह्य सांसारिक जीवन को आरामदायक बना देंगे, मानो अपने ही जीवन का फिल्म देख रहें हों।
चिंता और क्रोध करना किसे पसंद होता है? जिसमें खुद भी जलता है और सामनेवाले को भी जलाता है। लेकिन उसका स्वरूप क्या है और उससे छूटने की चाबी क्या है? घर में, पढ़ाई में, नौकरी-व्यापार में, समाज में जहाँ कदम-कदम पर अन्याय होता दिखाई देता है, अच्छे और सच्चे मनुष्यों को मुश्किलें झेलनी पड़ती है, कुदरती आफतों में लाखों निर्दोष लोग मारे जाते हैं। तो यह सब क्यों होता है? जीवन में तरह-तरह के लोग मिलते हैं, उनके साथ कैसे व्यवहार करना चाहिए जिससे संबंधों में मिठास बनी रहे?
जैसे-जैसेजेनरेशनगेपकीखाईबढ़तीजारहीहै, वैसे-वैसेबच्चोंकाउनकेमाता-पिताकेप्रतिआदरकामहोताजारहाहै।ऐसेउजड़ेहुएघर-संसारकोएकबारफिरहरा-भराबनाने, आदर्शपेरेंटिंगकीटिप्सपाएंमाँ-बापबच्चोंकाव्यवहारमेंसे।
दुनिया को सुधारने में तुम्हारा प्रयत्न जब निष्फल हो जाए, व्यर्थ लगे तब कौन सी समझ का सहारा लेकर स्थिर रहा जा सकता है? ऐसी सभी उलझनों जिसमें दुनिया का सबसे गंभीर प्रश्न, “मैं कौन हूँ?” का जवाब पाने के लिए आज ही ये पुस्तिकाएँ पढ़ना शुरू कीजिए। जो मात्र शब्द नहीं है बल्कि आत्मा को स्पर्श करके निकली हुई समझ रूपी रत्न हैं।