व्यसन वह किस तरह ज़ोखिमी है, उसकी विस्तृत समझ फीट करा देते हैं, सही समझ ही व्यसन के प्रति उसका अभिप्राय बदलकर एक दिन उसे इसमें से मुक्त करके रहेंगी। इस पुस्तक में दादाश्री ने व्यसन में से मुक्त होने के विविध उपाय बताए हैं। जिसमें से एक उपाय, चार स्टेप का अनोखा तरीका, जिसमें (१) व्यसन वह गलत है उसका दृढ़ निश्चय करे (२) किस तरह गलत है उसकी समझ इकटठा करके जागृति में रखें, (३) तय करने के बाद जितनी बार फिर से व्यसन होता है उतनी बार प्रतिक्रमण-प्रत्याख्यान करना है और (४) कोई इसके लिए भूल निकाले, अपमान करे, फिर भी उसका रक्षण नहीं करना है। जिसे खुद व्यसन है उस व्यक्ति के लिए तो इस पुस्तक में से कईं सारी चाबियाँ मिलेगी ही लेकिन साथ ही साथ खुद के नज़दीक की व्यक्तियों में किसी को भी व्यसन है, तो उसके साथ खुद को कौन सी समझ से व्यवहार करना है, उस बारे में दादाश्री द्वारा दी गई समझ भी नया ही दृष्टिकोण देगी। जिससे खुद को राग-द्वेष न हो और सामने वाले व्यक्ति को भी व्यसन में से बाहर निकलने के लिए पोजिटीव साइन हो जाएगी।